26/11 Taj Hotel Attack: अशोक चक्र से सम्मानित मेजर संदीप का शौर्य जिसने रचा इतिहास!

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26/11

26/11/2008 को मुंबई में हुआ आतंकी हमला, जिसमें मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की अद्वितीय वीरता ने उन्हें रियल हीरो बना दिया

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26/11/2008 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमले ने न केवल भारत को बल्कि पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था। इस हमले में कई निर्दोष लोगों की जान गई, लेकिन इस संकट के समय में कुछ ऐसे लोग थे जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना साहस और निस्वार्थता का परिचय दिया।

एक ऐसे ही नायक थे मेजर संदीप उन्नीकृष्णन, जिनकी वीरता ने उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया। इस लेख में हम मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के योगदान और उनकी वीरता की चर्चा करेंगे।

मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का जीवन

मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का जन्म 15 मार्च 1977 को कर्नाटक के कूर्ग जिले में हुआ था। भारतीय सेना में शामिल होने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) से अपनी शिक्षा पूरी की। उनका जीवन समर्पण, साहस और कर्तव्य की मिसाल था। वे हमेशा अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठावान रहे और संकट के समय में आगे बढ़कर सहायता करने में विश्वास रखते थे।

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26/11 के आतंकी हमले में मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की भूमिका

26/11/2008 को जब मुंबई के ताज होटल पर आतंकवादियों ने हमला किया, मेजर संदीप उन्नीकृष्णन ने अपनी जान की परवाह किए बिना कई लोगों की जान बचाई। वे राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) के सदस्य थे और इस ऑपरेशन का हिस्सा बने। उनकी नेतृत्व क्षमता, साहस और रणनीतिक सोच ने उन्हें एक सच्चे नायक का दर्जा दिलाया।

ताज होटल पर आतंकी हमले का विवरण

26/11 के हमले की योजना पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा द्वारा बनाई गई थी। इस हमले में कुल 10 आतंकवादी समुद्र के रास्ते मुंबई पहुंचे और उन्होंने ताज होटल सहित कई प्रमुख स्थानों पर हमला किया।

ताज होटल में आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलीबारी की और कई निर्दोषों को बंधक बना लिया। यह घटना देश के लिए एक जख्म बन गई और पूरी सुरक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता का अहसास हुआ।

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हमले की घटनाएं

शाम 9:20 बजे: आतंकवादियों ने लियोपोल्ड कैफे पर हमला किया, इसके बाद वे ताज होटल की ओर बढ़े।
शाम 9:38 बजे: चार आतंकवादियों ने ताज होटल के मुख्य द्वार पर हमला किया।
रात 12:00 बजे: मुंबई पुलिस ने ताज होटल को घेर लिया।
रात 3:00 बजे: भारतीय सेना और अग्निशामक घटनास्थल पर पहुंचे।
27 नवंबर सुबह 6:30 बजे: एनएसजी कमांडो ने बचाव कार्य संभाला।
29 नवंबर: सभी आतंकवादियों को मार गिराया या गिरफ्तार किया गया। इस हमले में लगभग 174 लोग मारे गए, जिनमें से 20 सुरक्षा बल के सदस्य थे।

मेजर संदीप की वीरता

मेजर संदीप उन्नीकृष्णन ने अपनी टीम के साथ मिलकर ताज होटल में घुसने का साहसिक प्रयास किया। उनके नेतृत्व में कई बंधकों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया। आतंकवादियों का सामना करते हुए उन्होंने अपनी जान की परवाह नहीं की और दूसरों की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान किया।

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मेजर संदीप का बलिदान

मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का बलिदान कभी नहीं भुलाया जा सकता। उन्होंने आतंकवादियों से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दी, और उनके साहस को सम्मानित करते हुए उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से नवाजा गया।

ताज होटल के कर्मचारियों का योगदान

ताज होटल के कर्मचारियों ने भी इस संकट के समय में अद्वितीय साहस का परिचय दिया। उन्होंने मेहमानों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने और कई लोगों की जान बचाने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की। उनके साहसिक प्रयासों को पूरे देश ने सराहा।

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ताज होटल हमले के प्रभाव

इस हमले ने भारत और विश्व स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ जागरूकता बढ़ाई। इसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा उपायों को सख्त किया गया और भारतीय सुरक्षा बलों की भूमिका को भी प्रमुखता से पहचाना गया।

निष्कर्ष

26/11/2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले के दौरान मेजर संदीप उन्नीकृष्णन ने जो साहस और नेतृत्व दिखाया, वह उन्हें सच्चा नायक बनाता है। उनका बलिदान हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगा, और उनका उदाहरण हमें यह सिखाता है कि कठिन परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्यों का पालन करना कितना महत्वपूर्ण है। मेजर संदीप का योगदान हमेशा भारतीय सुरक्षा और साहस का प्रतीक रहेगा।

FAQs

  • मेजर संदीप उन्नीकृष्णन कौन थे?
    उत्तर: मेजर संदीप 26/11 हमले में साहसिक कार्यों के लिए अशोक चक्र से सम्मानित भारतीय सेना अधिकारी थे।

  • 26/11 ताज होटल हमला क्या था?
    उत्तर: 26/11 को आतंकवादियों ने ताज होटल पर हमला किया, जिसमें मेजर संदीप ने अपनी जान पर खेलकर कई बंधकों को बचाया।

  • मेजर संदीप का योगदान क्या था?
    उत्तर: मेजर संदीप ने ताज होटल में आतंकवादियों से लड़ा और कई बंधकों को बचाया।

  • मेजर संदीप के बलिदान का क्या असर हुआ?
    उत्तर: मेजर संदीप के बलिदान के बाद भारत ने सुरक्षा नीतियां सख्त कीं और आतंकवाद से निपटने के उपायों में सुधार किया।
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